बीएसपी के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मामले में पार्टी कांग्रेस को अदालत में चुनौती दे सकती है. बुधवार शाम तक इस बारे में निर्णय की संभावना है.
राजस्थान में कांग्रेस की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है. सचिन पायलट के बगावत पर उतरने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार अभी अपनी सरकार बचाने की जुगत में लगी है लेकिन इसी बीच राज्य में बहुजन समाज पार्टीकी ओर से कांग्रेस को कोर्ट में घसीटने की खबर आ रही है. बीएसपी के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मामले में पार्टी कांग्रेस को अदालत में चुनौती दे सकती है. बुधवार शाम तक इस बारे में निर्णय की संभावना है.
राज्यसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग को बीएसपी ने इस संबंध में जानकारी दी थी. पार्टी ने विधायकों पर पार्टी की व्हिप के निर्देशानुसार वोट डालने का आदेश देने को कहा था. चुनाव आयोग ने मामले में दखल देने से इंकार कर दिया था. फिलहाल बीएसपी की दलील है कि इन विधायकों की स्थिति तय करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष पार्टी से बात करें.
मामला क्या है?
दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बीएसपी के छह विधायक समर्थन दे रहे थे. लेकिन सितंबर, 2019 में अशोक गहलोत ने इन विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा लिया. इसके बाद जनवरी महीने की शुरुआत में इन विधायकों ने सोनिया गांधी ने मिलकर पार्टी की औपचारिक सदस्यता ले ली थी. बीएसपी ने कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की थी और पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अशोक गहलोत का इस्तीफा तक मांगा था.
पार्टी यह मुद्दा लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंची थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. अब बीएसपी यह मुद्दा कोर्ट लेकर जाना चाहती है.
अशोक गहलोत पहले ही सचिन पायलट के साथ लड़ाई में जूझ रहे हैं. पायलट के बगावत पर उतरने के बाद उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. पायलट ने अपने साथ 30 विधायकों के समर्थन की बात कही थी लेकिन माना जा रहा है कि उनके पास 15-16 विधायकों का समर्थन है. उधर, अशोक गहलोत की स्थिति बेहतर है लेकिन फिर भी वो पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हो सकते हैं. ऊपर से जिस तरह कांग्रेस के विधायकों को रिसॉर्ट में रखा जा रहा है, उसे देखकर लगता नहीं कि गहलोत खुद आश्वस्त हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि उन्हें सदन में फ्लोर टेस्ट की परीक्षा देनी पड़ सकती है.