कच्चे तेल के आसमान पर चल रहे दामों के बीच सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर चिंता जताई है. देश में पिछले चार महीने से ज्यादा वक्त से ईंधन तेल के दामों में कोई संशोधन नहीं हुआ है. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और अब अमेरिका की ओर से रूस पर तेल आयात को लेकर बैन लगाने से कच्चा तेल और महंगा हो सकता है. इसकी कीमत पहले ही 139 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू चुकी है. मंगलवार को इसकी कीमतें 127 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी. वहीं भारत में हाजिर मांग बढ़ने के बीच कारोबारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने से मंगलवार को कच्चे तेल का वायदा भाव 37 रुपये की बढ़त के साथ 9,321 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई और संकेत दिया कि केंद्र सरकार वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘निश्चित रूप से इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर होगा. हम इसे एक चुनौती के रूप में लेने और इसके असर को कम करने के लिए कितना तैयार होंगे,
उन्होंने कहा कि भारत कच्चे तेल की कुल जरूरत का 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आयात से पूरा करता है और जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो यह चिंता का विषय है. वित्त मंत्री ने कहा कि हमें देखना होगा कि यह आगे किस दिशा में जाता है. उन्होंने बताया कि तेल विपणन कंपनियां 15 दिन के औसत के आधार पर खुदरा कीमतें तय करती हैं, लेकिन ‘अब हम जिन आंकड़ों की बात कर रहे हैं, वे औसत से परे हैं.’